अनजाना एहसास..
प्रेम कविता मर्ज बढाकर दवा का नाम छुपाती हो। अनजान बनकर अपनों का एहसास कराती हो। खामोश रहकर दिल में दस्तक दे जाती हो। कौन हो तुम जो मुझे इतना सताती हो। खुसबू बनकर…
प्रेम कविता मर्ज बढाकर दवा का नाम छुपाती हो। अनजान बनकर अपनों का एहसास कराती हो। खामोश रहकर दिल में दस्तक दे जाती हो। कौन हो तुम जो मुझे इतना सताती हो। खुसबू बनकर…