की तुम याद आये…
की तुम याद आये
जाने क्यों मदहोश हुए,
आज पवन के झोंके ,
खुशबू ऐसी बही ,
की तुम याद आये।।
सबसे किनारा करके ,
भुलने का भ्रम भी पाला,
एक कदम भी लड़खराये
कि तुम याद आये।।
राह बदली , न मिलने
की कसमे भी खाई ,
दूर सन्नाटे में एक पत्ता भी खारक ,
की तुम याद आये।
लोग पूछने लगेंगे इस लिए
ब ठे रहे यू ही तन्हा ,
एक दस्तक से होश उड़े ,
की तुम याद आये।।
वर्षो बाद जब तुम्हे देखा…
वर्षो बाद जब तुम्हे देखा ,
वही हसीन मुस्कुराहट तुम्हारे होटो पर पाया।।
तुम कुछ छुपा रही थी,
पर तुम्हारे आंखों को हकीकत बयां करते पाया।।
चंचल सी लड़की गंभीर लग रही थी ,
मैन उसके दिलो में शरारत का बसेरा पाया।।
चंद लम्हो की फुरसत न थी उसे ,
पर मैने अपने इशारो के इंतेज़ार में उसकी बेबसी को पाया।।
फासले तो बढ़ चुकी थी हमारे बीच ,
इन दूरियों के दरमियां मैने उसे अपने करीब पाया।। हॉं एक ऐसा एहसास पाया , हाँ एक ऐसा……..।।
कंपनी सचिव…
हम कंपनी सचिव है , सिर्फ हस्ताक्षर ही नहीं है,
हिम शिला पर लिखा वो लेख नहीं जो पल में पिघल जाये,
शिला पर लिखा वो लेख है जो अमिट अक्षर है,
हम कंपनी सचिव है , सिर्फ——————– है।
अर्जुन की गांडीव सा कलम है हमारा ,
कृष्ण की सुदर्सन सा तेज है ज्ञान ,
कानून की धाराओ और अनुछेदो से नहीं है हम अनजान ,
क्या क्षण भंगुर प्रलोभनो के वजह से हम निरक्षर हैह
कंपनी सचिव है , सिर्फ——————– है।
हम वक्ता ही नहीं प्रतिवक्ता भी हम ही है ,
हम वो प्रश्न है जो निरुत्तर सदा ही है ,
हम तो ज्ञान के गगन मे , गगनचर पखेरू है ,
कानून के जगत में हम एक अधिकृत हस्ताक्षर है।
हम कंपनी सचिव है , सिर्फ——————– है।
लज्जा हो उस स्वालम्बन को ,जो संघर्ष की प्रतिमूर्ति थी ,
आज अपने स्नेहजनो को क्या चेहरा दिखाएंगे ,
त्याग आज्ञाकारिता का कुशल नेतृतव सीखने वाले ,
क्या आज भेड़ चलो में फसने की वजह से हम साक्षर है।
हम कंपनी सचिव है , सिर्फ——————– है।
कंपनी पंजीकरण से विलय का समर्थ ज्ञाता हूँ मैं ,
आर्थिक मंदी से उबारने के लिए जाना जाता हूँ मै ,
विधि का पूर्ण ग्रन्थ हूँ, केवल अक्षर नहीं हूँ मैं ,
हम कंपनी सचिव है , सिर्फ——————– है।