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HIndi Kavita

” ना जाने तुम कैसी होगी “

love poems in Hindi

मै कवि तो नही जो, तुम मेरी कल्पना  होगी। 
मै चन्द्रमा तो नहीं , जो तुम पूनम की रात होगी।
मै अँगूठी तो नहीं , जो तुम पत्थरो में नीलम होगी। 
पर अपने आप से पूछू तो वही प्रश्न,न जाने तुम कैसी होगी।।

आसमान की ओर देखू , तो लगता है परी जैसी होगी। 
फूलो की ओर देखू , तो लगता है गुलाब जैसी होगी। 
वन की ओर देखू,तो लगता है सावन की राह देखती मोर होगी।
पर अपने आप से….. . . . . . . …. . . . . . . …. . . . . . . ।।

अगर मै डूबना चाहू, तो क्या तुम्हारी आँखे झील जैसी होगी। 
अगर मै चूमना चाहू, तो क्या तुम्हारे लब मदिरा जैसी होगी। 
अगर मै सुनना चाहू,तो क्या तुम्हारे स्वर कोयल जैसी कर्णप्रिय होगी।
पर अपने आप से….. . . . . . . …. . . . . . . …. . . . . . . ।।

अब मै थक सा गया हूँ, क्या नींद के समान तुम अपने आगोश में लोगी। 
इस पूस की सर्द रात में , क्या तुम अविस्मरणीय गर्म साँसे दोगी। 
इस थिरकते हुए लबो को,क्या तुम खूब सूरत सी ख़ामोशी दोगी। 
पर अपने आप से….. . . . . . . …. . . . . . . …. . . . . . . ।।

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