“पारवीन शाकिर”

“पारवीन शाकिर: उर्दू कविता के 10 अद्वितीय रचनाएँ”

पारवीन शाकिर की शायरी की गहराई, भावना और व्याकुलता के लिए जानी जाती है, जो प्रेम और जीवन की जटिलताओं को पकड़ती है।


“तुझ से मिलने को जी चाहता है,
तेरी साँसों से मिलने का इत्तेफ़ाक़ है।”

“Tujh se milnay ko jee chahta hai,
Teri sanson se milne ka ittefaq hai.”

पारवीन शाकिर उर्दू कविता के अद्वितीय रचनाएँ
#ParveenShakir #UrduPoetry”

“दिल ही तो है न संग-ओ-खिश्त दर्द से भर न आए क्यूं,
रोएंगे हम हज़ार बार, कोई हमें सताए क्यूं।”

“Dil hi to hai na sang-o-khisht dard se bhar na aaye kyun,
Royenge hum hazaar baar, koi hamein sataaye kyun.”

“मोहब्बत करने वालों के दिल को दर्द की भी ज़रूरत होती है,
वो ज़ख़्मों से भर जाते हैं जो दर्द को सह लेते हैं।”

“Mohabbat karne walon ke dil ko dard ki bhi zaroorat hoti hai,
Woh zakhmon se bhar jaate hain jo dard ko seh lete hain.”

पारवीन शाकिर उर्दू कविता के अद्वितीय रचनाएँ
#ParveenShakir #UrduPoetry”

“आते हैं ग़ाएब से ये मज़ामीन ख़याल में,
ग़ालिब सरीर-ए-ख़ामा नवा-ए-सरोश है।”

“Aate hain ghaib se yeh mazaameen khayaal mein,
Ghalib sareer-e-khaama nawa-e-sarosh hai.”

“रात भर करीब रहें, हमसे एक पल की दूरी से,
सुबह को मिलें तो शायद कोई बात बने।”

“Raat bhar kareeb rahe, humse ek pal ki doori se,
Subah ko milein toh shaayad koi baat bane.”

पारवीन शाकिर उर्दू कविता के अद्वितीय रचनाएँ
#ParveenShakir #UrduPoetry”

“ख़ुशबू की तरह मेरी हर साँस में बस जा,
मुझको महसूस कर, मेरे यार।”

“Khushboo ki tarah meri har saans mein bas ja,
Mujhko mehsoos kar, mere yaar.”

“चलो छोड़ दें हमें, हम नहीं चाहते किसी को,
जिन्हें हम चाहें, वो छोड़ दें हमें।”
“Chalo chhod den humain, hum nahi chahte kisi ko,
Jinhe hum chahein, wo chhod de humein.”
"पारवीन शाकिर उर्दू कविता के अद्वितीय रचनाएँ"
#ParveenShakir #UrduPoetry”
“तुम से मोहब्बत है, तुम से मोहब्बत थी, तुम से मोहब्बत होगी,
हमें शायद तुम से मोहब्बत हो गई है।”
“Tum se mohabbat hai, tum se mohabbat thi, tum se mohabbat hogi,
Humein shayad tum se mohabbat ho gayi hai.”
“कुछ ख्वाब हैं, कुछ राज़ हैं, कुछ उलझनें, कुछ खौफ,
कुछ बेचैनियाँ, कुछ चुप हैं, कुछ बेखुदी, कुछ सुकून।”
“Kuch khwab hain, kuch raaz hain, kuch uljhanen, kuch khauf,
Kuch bechainiyaan, kuch chup hain, kuch bekhudi, kuch sukoon.”
"पारवीन शाकिर उर्दू कविता के अद्वितीय रचनाएँ"
#ParveenShakir #UrduPoetry”
“मुझ से पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब ना मांग,
मैंने समझा था के तू है तो दरख़्शाँ है हयात।”
“Mujh se pehli si mohabbat mere mehboob na maang,
Maine samjha tha ke tu hai to darakhshaan hai hayat.”

Leave a Reply