सुनहरी यादें..

प्रेम कविता जब मैं तुम्हारे गोद मे सर रखकर सोता था ,  मानो प्यासे पथिक को पानी मिल जाता था ।।उलझी हुई गेसुओ को जब अपनी उंगलियो से सुलझाता था…

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